1. निम्नलिखित में से सम संख्या कौन सी है - A) 765489 B) 445566 C) 880001 D) 976541 ANSWER= (B) 445566 Check Answer 2. निम्नलिखित में से चार अंको की सबसे बड़ी संख्या कौन सी है A) 9999 B) 1000 C) 1111 D) 9998 ANSWER= (A) 9999 Check Answer 2. निम्नलिखित में से चार अंको की सबसे बड़ी संख्या कौन सी है A) 9999 B) 1000 C) 1111 D) 9998 ANSWER= (A) 9999 Check Answer
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अध्याय - 6 रासायनिक अभिक्रिया एवं उत्प्रेरक
पदार्थो में होने
वाले परिवर्तन दो प्रकार के होते हैं-
1. भौतिक परिवर्तन
|
2. रासायनिक परिवर्तन
|
वे परिवर्तन जिनमे
पदार्थ के भौतिक गुण तथा अवस्था में परिवर्तन होता हैं भौतिक परिवर्तन कहलाता
हैं |
|
वे परिवर्तन जिनमे
पदार्थ के रासायनिक गुण तथा संगठन में परिवर्तन होता हैं तथा नया पदार्थ बनता
हैं रासायनिक परिवर्तन कहलाता हैं |
|
इसमें पदार्थ के
अवस्था, रंग, गंध आदि में परिवर्तन होता हैं
|
इसमें पदार्थ के
रासायनिक संगठन में परिवर्तन होकर नया पदार्थ बनता हैं
|
यह परिवर्तन
अस्थाई होता हैं
|
यह स्थाई परिवर्तन
होता हैं
|
इसमें पदार्थ में
होने वाले परिवर्तन का कारण हटा दिया जाये तो पुनः प्रारंभिक पदार्थ प्राप्त
होता हैं
|
इसमें पदार्थ में
होने वाले परिवर्तन का कारण हटा दिया जाये तो पुनः प्रारंभिक पदार्थ प्राप्त
नहीं होता हैं
|
रासायनिक समीकरण
रासायनिक अभिक्रिया
को प्रतिको के रूप में व्यक्त करना रासायनिक समीकरण कहलाता हैं |
जैसे कार्बन को ऑक्सीजन
की उपस्थिति में गर्म करने पर कार्बन डाई ऑक्साइड बनता हैं |
C + O2 →
CO2
रासायनिक अभिक्रिया
में भाग लेने वाले पदार्थो को अभिकारक या क्रियाकारक कहते हैं तथा अभिक्रिया के
दौरान बनने वाले पदार्थो को उत्पाद कहते हैं |
रासायनिक समीकरण को
लिखने के चरण -
(1) रासायनिक अभिक्रिया में तीर के बायीं तरफ
अभिकारक तथा तीर के दाई तरफ उत्पाद को लिखा जाता हैं
(2) अभिकारक तथा उत्पाद
की संख्या एक से अधिक हो तो उनके मध्य (+) का चिन्ह लगते हैं
(3) अभिक्रिया में न तो
द्रव्यमान उत्पन्न होता हैं न हीं नष्ट होता हैं अर्थात अभिकारको का द्रव्यमान तथा
उत्पाद का द्रव्यमान समान रहता हैं इसे द्रव्यमान संरक्षण का नियम कहते हैं |
(4) रासायनिक अभिक्रिया
को अनुमान विधि द्वारा संतुलित किया जाता हैं |
(5) अभिक्रिया
उष्माक्षेपी तथा ऊष्माशोषी होने पर उत्पाद के साथ क्रमशः (+) तथा (-) का चिन्ह लगा
कर ऊष्मा की मात्रा को लिखा जाता हैं |
(6) अभिक्रिया में ताप,
दाब तथा उत्प्रेरक को तीर के निशान के उपर लिखा जाता हैं |
(7) अभिकारक तथा उत्पाद
ठोस, द्रव, या गेस होने पर उन्हें क्रमशः (s), (l), (g) से दर्शाया जाता हैं |
(8) अभिकारक तथा उत्पाद जलीय
विलयन होने पर उसे (aq) लिखते हैं |
रासायनिक समीकरण विशेषताए
|
रासायनिक समीकरण सीमाए
|
अभिकारक और उत्पाद
के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त होती हैं |
|
रासायनिक समीकरण से अभिक्रिया के पूर्णता की
जानकारी प्राप्त नहीं होती हैं |
|
पदार्थो की भौतिक
अवस्था की जानकारी प्रोत होती हैं
|
|
अभिक्रिया के लिए
आवश्यक ताप,दाब, व उत्प्रेरक का पता चलता हैं |
|
इससे अभिकारक व
उत्पाद की सांद्रता का पता नहीं चलता हैं |
|
अभिक्रिया के
उत्क्रमणीयता की जानकारी प्राप्त होती हैं
|
रासायनिक अभिक्रिया
-किसी पदार्थ में रासायनिक परिवर्तन होना रासायनिक अभिक्रिया कहलाता हैं
(1)संयोजन
अभिक्रिया - ऐसी रासायनिक अभिक्रियाएं जिसमे दो या दो से अधिक अभिकारक आपस में संयोग करके
एक ही उत्पाद बनाते हैं संयोजन अभिक्रियाएँ कहलाती हैं |
जैसे - कोयले का दहन
C + O2 → CO2
(2) विस्थापन अभिक्रियाएँ - ऐसी रासायनिक अभिक्रियाएं जिसमे अधिक क्रियाशील
तत्त्व कम क्रियाशील तत्व को यौगिक में से विस्थापित कर देता हैं |
जैसे - कोपर सल्फेट के नील रंग के विलयन में
जिंक के टुकड़े को डालने पर CuSO4 विलयन का नीला रंग लुप्त होने लगता
हैं तथा Cu निक्षेपित होने लगता हैं और विलयन ZnSO4 बनता हैं
→ द्विविस्थापन अभिक्रिया - ऐसी रासायनिक अभिक्रियाएं जिसमे दोनों अभी कारको
के परमाणु या परमाणु समूह आपस में विस्थापित होकर नए योगिको का निर्माण करते हैं
द्विविस्थापन अभिक्रिया कहलाती हैं |
(3) अपघटनीय अभिक्रियाएँ - ऐसी रासायनिक अभिक्रियाएँ जिनमे एक अभिकारक
टूटकर दो या दो से अधिक नए उत्पाद बनाते हैं अपघटनीय अभिक्रियाएँ कहलाती हैं |
यह तीन प्रकार की
होती हैं -
1. उष्मीय अपघटन
- ऊष्मा द्वारा रासायनिक अभिक्रिया का अपघटन उष्मीय अपघटन कहलाता हैं |
2. प्रकाशीय
अपघटन - सूर्य के प्रकाश द्वारा रासायनिक अभिक्रिया का अपघटन प्रकाशीय अपघटन
कहलाता हैं |
3. विद्युत अपघटन
- यौगिक की द्रव अवस्था में विद्युत धारा प्रवाहित कर योगिक का अपघटन विद्युत
अपघटन कहलाता हैं |
मंद ऐसी रासायनिक अभिक्रियाए जिनको पूरा होने में घंटे,दिन,या साल लग जाते हैं मंद
अभिक्रिया कहलाती हैं
जैसे लोहे पर जंग
लग्न
(5) उत्क्रमणीय तथा अनुउत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ
- ऐसी रासायनिक अभिक्रियाएँजो केवल एक दिशा में होती हैं अर्थात अभिकारक क्रिया
करके उत्पाद बनाते हैं उत्पाद से पुन अभिकारक का निर्माण नहीं होता अनुउत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ
कहलाती हैं जबकि ऐसी रासायनिक अभिक्रियाएँजो
दोनों दिशाओ में चलती हैं अर्थात अभिकारक आपस में
क्रिया करके उत्पाद बनाते हैं, उसी समय उन्ही परिस्थितियों में उत्पाद क्रिया करके
अभिकारक बनाती हैं उत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ कहलाती हैं |
अवधारणा
|
ऑक्सीकरण
|
अपचयन
|
प्राचीन
अवधारणा
|
ओक्सीजन का संयोग
C + O2
→ CO2
|
हाइड्रोजन का संयोग
CH2=CH2 + H2 → CH3
-CH3
|
ऋणविद्युती तत्वों का संयोग
Mg + Cl2 → MgCl2
|
धनविध्युती तत्वों का संयोग
Cl2 +
Mg → MgCl2
|
प्राचीन
अवधारणा
|
ओक्सीजन का संयोग
C + O2
→ CO2
|
हाइड्रोजन का संयोग
CH2=CH2 + H2 → CH3
-CH3
|
ऋणविद्युती तत्वों का संयोग
Mg + Cl2 → MgCl2
|
धनविध्युती तत्वों का संयोग
Cl2 +
Mg → MgCl2
|
|
हाइड्रोजन का निष्कासन
CH3-CH2-OH → CH3CHO + H2
|
ओक्सीजन का निष्कासन
2KClO3 →
2KCl + 3O2
|
|
धनविध्युती तत्वों का निष्कासन
H2S + Cl2 →
2HCl + S
|
ऋणविद्युती तत्वों का निष्कासन
2FeCl3 + H2
→ 2FeCl2 +
2HCl
|
|
वर्तमान अवधारणा
|
वे अभिक्रियाए
जिनमे तत्व,परमाणु,आयन या अणु इलेक्ट्रोंन त्यागता हैं ऑक्सीकरण कहलाती हैं
जैसे Na → Na+ + e-
Fe2+ →
Fe3+ e-
2Cl- →
Cl2 + 2e-
|
वे अभिक्रियाए
जिनमे तत्व,परमाणु,आयन या अणु इलेक्ट्रोंन ग्रहण करता हैं अपचयन कहलाती हैं जैसे
Cl + e- → Cl-
MnO4- + e- →
MnO42-
Mg+2 + 2e- → Mg
|
रेडोक्स अभिक्रिया वे अभिक्रियाए जिनमे एक पदार्थ का ऑक्सीकरण तथा
दुसरे पदार्थ का अपचयन होता हैं रेडोक्स अभिक्रियाए कहलाती हैं | वे पदार्थ जो
अपना इलेक्ट्रान त्याग कर अन्य पदार्थ को अपचयित करते हैं अपचायक कहलाते
हैं जबकि वे पदार्थ जो इलेक्ट्रान ग्रहण कर अन्य पदार्थ को ओक्सीकृत कर देते हैं
ओक्सीकारक कहलाते हैं |
उत्प्रेरक वे पदार्थ जो
रासायनिक अभिक्रिया में भाग नहीं लेते परन्तु उनकी उपस्थिति में अभिक्रिया का वेग बदल
जाता हैं उत्प्रेरक कहलाते हैं तथा इस घटना को उत्प्रेरण कहते हैं | जैसे -
2KClO3
2KCl +3O2
समांगी उत्प्रेरक
|
जब रासायनिक अभिक्रिया में अभिकारक, उत्पाद तथा उत्प्रेरक तीनो की भौतिक
अवस्था सामान हो तो उत्प्रेरक संगामी उत्प्रेरक कहलाता हैं CH3COOCH3 + H2O →
CH3COOH + CH3OH
|
विषमांगी उत्प्रेरक
|
जब रासायनिक अभिक्रिया में अभिकारक, तथा उत्प्रेरक की भौतिक अवस्था भिन्न हो तो उत्प्रेरक
विषमांगी उत्प्रेरक कहलाता हैं N2 + 3H2 →
2NH3
|
धनात्मक उत्प्रेरक
|
रासायनिक अभिक्रिया के वेग को बढ़ाने वाले उत्प्रेरक धनात्मक उत्प्रेरक
कहलाते हैं |
2KClO3 → 2KCl
+3O2
|
ऋणात्मक उत्प्रेरक
|
रासायनिक अभिक्रिया के वेग को कम वाले उत्प्रेरक ऋणात्मक उत्प्रेरक कहलाते
हैं |
2H2O2 →
2H2O + O2
2CHCl3 → 2COCl2 + 2HCl
|
जैव उत्प्रेरक
|
जैव रासायनिक अभिक्रिया की गति को बढाने में जो पदार्थ काम में लिए जाते हैं
उन्हें जैव उत्प्रेरक कहते हैं इन्हें एंजाइम भी कहते हैं NH2CONH2 →
2NH3 +CO2 या माल्टोज़
→ ग्लूकोज
|
स्वतः उत्प्रेरक
|
जब किसी रासायनिक अभिक्रिया में बना उत्पाद ही उत्प्रेरक का कार्य करता हैं
तो वह उत्पाद स्वत उत्प्रेरक कहलाता हैं | CH3COOC2H5 +
H2O → CH3COOH + C2H5OH
|
उत्प्रेरक वर्धक
|
वे पदार्थ जो उत्प्रेरक की क्रियाशीलता को बढ़ाते हैं उत्प्रेरक वर्धक कहलाते
हैं
N2 +
3H2 → 2NH3
|
उत्प्रेरक विष
|
वे पदार्थ जो उत्प्रेरक की क्रियाशीलता को कम करते हैं उत्प्रेरक विष कहलाते
हैं
N2 +
3H2 → 2NH3
|
उत्प्रेरक के गुण
1. उत्प्रेरक केवल
अभिक्रिया के वेग को प्रभावित करता हैं स्वयं में कोई परिवर्तन नहीं करता हैं |
2. अभिक्रिया में
उत्प्रेरक की सुक्ष्म मात्रा ही पर्याप्त होती हैं |
3. भिन्न भिन्न अभिक्रिया
के लिए भिन्न भिन्न उत्प्रेरक कम में लिए जाते हैं |
4. उत्प्रेरक केवल
अभिक्रिया को प्रारम्भ नहीं करता हैं केवल अभिक्रिया के वेग को प्रभावित करता हैं
|
5. उत्प्रेरक
निश्चित ताप पर ही अत्यधिक क्रियाशील होते हैं ताप बदलने पर क्रियाशीलता प्रभावित
होती हैं |
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